DISCLAIMER
the mind is impressionable, heart is impressionistic and words are intended to create an impression

Sunday, August 8, 2010

सपने का जन्म



वो अन्दर था 
जब हम पत्थर
बजा रहे थे
त्रिश्नाएं वो  
बटोर रहा था
जब घास हम 
सुलगा रहे थे 
विछेद रहा था
असंभव, वो  
जोड़ रहा था
अद्भुत

कई साल तक
हम आग 
सुलगते रहे
वो रहा
अन्दर गुम

फिर एकदिन
उसकी रचना,
थी तैयार
सपना उसदिन
हमने देखा
जो कुछ भी
हाथ में था
गिर गया
जो बरसों से
नहीं जली थी
उसदिन
वो आग
भभक उठी 

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